नन्ही कली
ये दुनिया फूलों की बगिया , इसमें तरह तरह के फूल खिले ,
इन फूलों की महक बढाने , बन नन्ही कली मैं आयी हूँ ...!!!
जब अंग्रेजों से लड़ना था , बन लक्ष्मी बाई मैं थी आयी ,
अब गुंडों पर काबू पाने , मैं किरण बेदी बन आयी हूँ ...!!!
जो कई नेता ना कर पाए , उन कामों का आगाज़ किया ,
बन इन्दिरा कैसे राज़ किया, ये फिर बतलाने आयी हूँ ...!!!
अब पहले जैसी नही रही , जो डरती और सकुचाती थी,
अन्तरिक्ष में कल्पना जैसी , भरने उड़ान मैं आयी हूँ ...!!!
बेटे ही होते हैं सब कुछ , जो माँ-बाप सोचते हैं ऐसा ,
उनकी सोच की दिशा बदलने, इस दुनिया में मैं आयी हूँ..!!!
कोख में मुझको मारने वाली, माँ ! तू अब तो होश में आ ,
बेटी बनकर ही 'तू 'आयी थी , बेटी ही बनकर मैं आयी हूँ ..!!!
ये दुनिया फूलों की बगिया, इसमें तरह तरह के फूल खिले,
इस बगिया की महक बढाने, बन नन्ही कली मैं आयी हूँ ...!!!
---राकेश वर्मा
2 comments:
ये दुनिया फूलों की बगिया , इसमें तरह तरह के फूल खिले ,
इन फूलों की महक बढाने , बन नन्ही कली मैं आयी हूँ ...!!!
bahUT KHUB
SHEKHAR KUMAWAT
http://kavyawani.blogspot.com/
ये दुनिया फूलों की बगिया, इसमें तरह तरह के फूल खिले,
इस बगिया की महक बढाने, बन नन्ही कली मैं आयी हूँ ...!!!
वर्मा जी शायद ये कविता मेरी नन्ही परी के लिये ही लिखी गयी है। धन्यवाद जल्दी मे होपोँ बहुत ही सुन्दर लगी आपकी ये कविता। और नंगल के क्या हाल चाल हैं कुरालिया जी कैसे हैं? सब को मेरा नमस्कार कहें धन्यवाद और शुभकामनायें
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