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शे'र

मोहब्बत , हिज़र , ग़ुरबत , नफरत .... सब मिल चुके हैं मुझे ...
मैं अब तकरीबन मुकम्मल हो चूका हूँ ....!!!!



नवर्द - - इश्क में क्या हुआ क्या बताएं हम
कभी हमने खुद को ऐसे हारते नही देखा ....!!!!

2 comments:

Unknown said...

khoooooobsurat !!!

Udan Tashtari said...

शानदार!