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शे'र

उस ने ये सोचकर, अलविदा कह दिया हमें .....
ये गरीब लोग हैं , मोहब्बत के सिवा क्या देंगे ...???

वो रोज़ देखती है, डूबते हुए सूरज को...
काश हम भी किसी शाम के मंज़र होते...!!!!

6 comments:

Udan Tashtari said...

वाह!

दिलीप said...

waah maan gaye ustaad..pehla sher to lajawaab...

मनोज कुमार said...

लाजवाब!

kunwarji's said...

BAHUT BADHIYA JI...


kunwar ji,

दीपक 'मशाल' said...

bahut hi pasand aaye dono sher... aur badhaiye sir ise..

शरद कोकास said...

काश ... शरद कोकाश ..।