ग़ज़ल
फ़िर आई उसकी याद, कल रात चुपके-चुपके..,
बहके मेरे जज़्बात , कल रात चुपके-चुपके...!!
दीवानावार हो के , हमने बहाए आंसू ...,
रोई ये कायनात , कल रात चुपके-चुपके...!!
मेरी आंखे हुई पुरनम , उनके दिए अश्कों से...,
ये लाये वो सौगात , कल रात चुपके-चुपके...!!शह देते रहे हमको, दिखला के हुस्न का ज़लवा..., फ़िर खायी हमने मात, कल रात चुपके-चुपके...!!
मेरी बेबसी का मंज़र , नही देख पाया वो भी...,
रोया था माहताब , कल रात चुपके - चुपके...!!
रौशन थे जो बरसों से, तेरे वादे की लौ से 'वर्मा'...,
गुल हो गये चिराग, कल रात चुपके-चुपके...!!