....पुलिस कानून और लोग ....
हालात के हाथों में अब, मजबूर यह समाज है ,
न पुलिस है न कानून है , लगता है जंगल राज है !!
आंदोलनों से बापू ने, आजादी हमे दिलवाई थी ,
अहिंसा के देवदूत ने, सीने पे गोली खाई थी,
सपना ही बनकर रह गया, सपनों का रामराज है ....
शतरंज नेता खेलते, और जनता बनी है गोटिया ,
अब जाती-धर्म के नाम पर, सिंकती है इनकी रोटिया
ईमानदारी तिल-तिल मर रही ,बेईमानो के सर पर ताज है....
जमाखोरों की काली करतूत से, महंगाई बढती जा रही,
चीनी के भरे गोदाम हैं , कहीं गेहूं सडती जा रही ,
गरीब जनता आज- कल, खाद्यान्न की मोहताज है....
रिश्वत का लेना देना भी, अब बन गया इक्क खेल है,
दिन - रात फलती - फूलती ये कैसी अमर् बेल है,
हर दफ्तर मे रिश्वत खोरो का, अब एक-छत्र राज है ...
कस्बा हो य फिर शहर हो , नारी की सांसे घुट रही ,
स रे -राह चलते आज कल, अबला की इज़्ज़त लुट रही
हर छोटा - बडा गुंडा बना , अब बाद्शाह बे-ताज़ है ...
दहेज की अग्नि मे जल नित कोइ लड्की मर रही ,
बेटी के जनम लेते ही हर एक माता डर रही
क्या करे इस की दवा , ये रोग ला-इलाज़ है ....
कानून लम्बे हाथो की, दे दे कर दुहाई थ् क गया ,
गुनाह-गार अब उस हाथ पर चान्दी के सिक्के रख गया ,
इन की खनक से क्यो कर भला , कानून को एतराज है...
पुलिस भी आखिर क्या करे , कोइ पेश जो चलती नही ,
बिन नेता की दखल-अन्दाज़ी के, अब दाल जो गलती नही,
हर केस मे इन का दखल, ज्यो कोड मे कोइ खाज़ है...
हालात सुधर सकते है , निराश यू ना होइये ,
अछी फसल जो चाहो तो, फिर बीज अछा बोइए,
ना करो और ना सहो जुल्म, ये वक़्त की आवाज़ है ...
हालात के हाथो मे अब, मजबूर ये समाज है,
ना पुलिस है , ना कानून है, लगता है जंगल राज है
---- राकेश वर्मा
शुभकामना सन्देश
सभी हिन्दुस्तानियो को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये....
आओ सब मिलकर समवेत स्वर में कहें ....जय हो ! जय हो !!
----- राकेश वर्मा
{ सचिव }
अ क्खर चेतना मंच
नया नंगल
आओ सब मिलकर समवेत स्वर में कहें ....जय हो ! जय हो !!
----- राकेश वर्मा
{ सचिव }
अ क्खर चेतना मंच
नया नंगल
खुशखबरी
खुशखबरी
इस बार का गणतंत्र दिवस नया नंगल स्थित नेशनल फेर्टी.लिमिटेड कारखाने के कर्मचारियो के लिए एक खुशखबरी लेकर आ रहा है ...वो यह कि केंद्र सरकार की आर्थिक मामलो की मन्त्रिमनद्दलिये सलाहकार समिति ने एन ऍफ़ एल की संयंत्र को गैस आधारित बनाने की परियोजना के लिए १४७८.६३ करोड़ रुपए की धनराशी जारी करने का फैसला किया है ...!
सरकार के इस फैसले से कर्मचारी वर्ग में ख़ुशी का माहौल है क्योंकि संयंत्र के गैस आधारित होने से संयंत्र की उत्पादकता , उत्पादन, एवं लाभ अर्जन सब बढ़ेंगे ...
अब इंतज़ार है उस घडी का जब इस परियोजना का श्रीगणेश होगा ॥
सभी देशवासिओं को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ...!!!
---- राकेश वर्मा
इस बार का गणतंत्र दिवस नया नंगल स्थित नेशनल फेर्टी.लिमिटेड कारखाने के कर्मचारियो के लिए एक खुशखबरी लेकर आ रहा है ...वो यह कि केंद्र सरकार की आर्थिक मामलो की मन्त्रिमनद्दलिये सलाहकार समिति ने एन ऍफ़ एल की संयंत्र को गैस आधारित बनाने की परियोजना के लिए १४७८.६३ करोड़ रुपए की धनराशी जारी करने का फैसला किया है ...!
सरकार के इस फैसले से कर्मचारी वर्ग में ख़ुशी का माहौल है क्योंकि संयंत्र के गैस आधारित होने से संयंत्र की उत्पादकता , उत्पादन, एवं लाभ अर्जन सब बढ़ेंगे ...
अब इंतज़ार है उस घडी का जब इस परियोजना का श्रीगणेश होगा ॥
सभी देशवासिओं को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ...!!!
---- राकेश वर्मा
ग़ज़ल
ग़ज़ल
फ़कत मैं ही था तेरे जलवे से बेखबर.... ,
ज़िक्र जिस से भी किया तेरा दीवाना निकला !!
मरकज़ -ऐ - बज़्म ना बन सकी हमारी किस्सागोई ,
तेरा हर शे'र पक्का निशाना निकला ...!!
जाऊं सदके मैं तेरी सुखनवरी के .....
तेरा हर बोल इक्क तराना निकला !!
साकी-ऐ-महफ़िल बने जब भी तुम....,
हाथ में हर शख्स के पैमाना निकला..!!
इस कद्र तेरे रंग में रंग गयी बस्ती... ,
हर इक मोड़ पर नया मैख़ाना निकला॥!!
मात खा गये हम पेशीनगोई में.... ,
तू आम शख्स नही, नूर-ऐ-ज़माना निकला ॥!!
---- राकेश वर्मा
फ़कत मैं ही था तेरे जलवे से बेखबर.... ,
ज़िक्र जिस से भी किया तेरा दीवाना निकला !!
मरकज़ -ऐ - बज़्म ना बन सकी हमारी किस्सागोई ,
तेरा हर शे'र पक्का निशाना निकला ...!!
जाऊं सदके मैं तेरी सुखनवरी के .....
तेरा हर बोल इक्क तराना निकला !!
साकी-ऐ-महफ़िल बने जब भी तुम....,
हाथ में हर शख्स के पैमाना निकला..!!
इस कद्र तेरे रंग में रंग गयी बस्ती... ,
हर इक मोड़ पर नया मैख़ाना निकला॥!!
मात खा गये हम पेशीनगोई में.... ,
तू आम शख्स नही, नूर-ऐ-ज़माना निकला ॥!!
---- राकेश वर्मा
पंजाबी कविता
हथ 'च तेरे कुझ नही औना,
ऐवें हथ' लाबेड़ी ना ,
महंगी हो गयी चीनी सज्जना,
देखी जा पर छेड़ी ना ...
दाल ते सब्जी हो गयी महंगी,
व्रत रखना वी महंगा है ,
दुकाना 'ते हर चीज़ बथेरी ,
देखी जा पर छेड़ी ना....
सेब हो गये पहुँच तों बाहर ,
केले वी तां महंगे ने,
मण्डी 'च लग्गी फलां दी रेहड़ी,
देखी जा पर छेड़ी ना...
घरवाली नू साइकिल ते बिठा के,
सारा श हर घुमा दित्ता ,
आखिर विच मैं गल नबेडी,
देखी जा पर छेड़ी ना...
ऐवें हथ' लाबेड़ी ना ,
महंगी हो गयी चीनी सज्जना,
देखी जा पर छेड़ी ना ...
दाल ते सब्जी हो गयी महंगी,
व्रत रखना वी महंगा है ,
दुकाना 'ते हर चीज़ बथेरी ,
देखी जा पर छेड़ी ना....
सेब हो गये पहुँच तों बाहर ,
केले वी तां महंगे ने,
मण्डी 'च लग्गी फलां दी रेहड़ी,
देखी जा पर छेड़ी ना...
घरवाली नू साइकिल ते बिठा के,
सारा श हर घुमा दित्ता ,
आखिर विच मैं गल नबेडी,
देखी जा पर छेड़ी ना...