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कविता

.....सूचना क्रान्ति की आरती.....

ॐ जय
सूचना क्रान्ति हरे ,
मईया जय सूचना क्रान्ति हरे !
भ्रष्ट जनों के सर पर ,
करप्ट जनों के सर पर ,
तू तलवार धरे ...!
मईया जय सूचना क्रान्ति हरे !

तेरा रूप विलक्ष्ण,
अपार है तेरी माया ,
मईया अपार है तेरी माया ,
भ्रष्टाचारी हो कोई ,
तुमसे ना बच पाया ,
मईया जय सूचना क्रान्ति हरे !

आर टी आई एक्ट से ,
जब से जुड़ा नाता ...
मईया जब से जुड़ा नाता ,
नेता हो या अफसर कोई बच पाता...
मईया जय सूचना क्रान्ति हरे !

अखबार में छपती ख़बरें,
टी वी पे सब आता ,
मईया टी वी पे सब आता ,
पुलिस पकड़ कर लाती ,
भ्रष्टाचारी मुहँ छिपाता ...
मईया जय सूचना क्रान्ति हरे !

कोई खबरिया चैनल,
जब पीछे पड़ जाता..,
मईया जब पीछे पड़ जाता ,
राजा हो या कलमाडी ,
जेल में पहुँच जाता ...!!
मईया जय सूचना क्रान्ति हरे !

पारदर्शिता तुमसे ,
तुमसे ही जानकारी,
मईया तुमसे ही जानकारी ,
डरते हैं सब तुम से ,
तलवार तू दो-धारी .... !
मईया जय सूचना क्रान्ति हरे !

ॐ जय सूचना क्रान्ति हरे ,
मईया जय सूचना क्रान्ति हरे !
भ्रष्ट जनों के सर पर ,
करप्ट जनों के सर पर ,
तू तलवार धरे ...!
मईया जय सूचना क्रान्ति हरे !
____ राकेश वर्मा

हिंदुस्तान में बसने वालो ...

.... हिंदुस्तान में बसने वालो ...

नया जोश है नया रंग है, नव उमंग है नव तरंग है ,

जन जागरण करने हेतु , जोरों से बज रहा मृदंग है ,

नई स्वर लहरी जो गूंजे, उसकी ताल में ताल मिलाएं,

हिंदुस्तान में बसने वालो, आओ भ्रष्टाचार मिटायें॥!!


जिनको हमने चुन कर भेजा, उनके रंग बदल गए यारो,

वाणी से उड़ गई नम्रता, उनके ढंग बदल गए यारो,

आस्तीन के विषधरों को, आर टी आई की धुन सुनाएँ,

हिंदुस्तान में बसने वालो, आओ भ्रष्टाचार मिटायें॥!!


रालेगांव से दिल्ली आकर, अनशन पर बैठे अन्ना हजारे,

लोकपाल बिल पास करो, भारत का जन जन ये पुकारे,

हिंसा रहित आन्दोलन का, पूरे विश्व को पाठ पढाएं,

हिंदुस्तान में बसने वालो, आओ अन्ना-गिरी अपनाएं॥!!


मंत्री जी आ रहे शहर में, मिल गया सबको ये बहाना,

दोनों हाथ से करे उगाही, शहर की चौकी, शहर का थाना

शहर को महंगा पड़ता दौरा, बार बार न इन्हें बुलाएँ,

हिंदुस्तान में बसने वालो, आओ भ्रष्टाचार मिटायें॥!!


संसद भवन में बहस हो रही, नोटों के भर लाया बस्ते,

ढोंग कर रहा सज्जन होने का, नेता फग्गन सिंह कुलस्ते,

‘अमर’ कथा के सूत्रधार का, खोज बीन कर पता लगाएं,

हिंदुस्तान में बसने वालो, आओ भ्रष्टाचार मिटायें॥!!


भ्रष्टाचार के पहियों पर जब, सरपट दौड़ रही थी गाड़ी,

सत्ता मद में होश गँवा कर, औंधे मुंह गिरा कलमाड़ी,

भ्रष्ट-मंडल खेलों की दौड़ का, इसको स्वर्ण पदक दिलवाएं,

हिंदुस्तान में बसने वालो, आओ भ्रष्टाचार मिटायें॥!!


2G घोटाले में जाने किस ने कितना माल बनाया,

‘नीरा’ ने जब भजन किया तो, कितना नाम ‘रतन’ धन पाया,

‘राजा’ और ‘कनिमोझी’ क्यों मनमोहन की शरण में जाएँ,

हिंदुस्तान में बसने वालो, आओ भ्रष्टाचार मिटायें॥!!


‘बरखा दत्त’ और ‘वीर’ सरीखे, भी न इस से रहे अछूते,

चौथा स्तंभ भी भ्रष्ट हो गया, टिका तंत्र जिस के बल बूते,

विशिष्ट जनों की सुविधा हेतु, तिहाड़ में नए आवास बनाएँ,

हिंदुस्तान में बसने वालो, आओ भ्रष्टाचार मिटायें॥!!


आशा की इक किरण बची है, क्यों न अब वही आजमायें,

कर एकत्रित भ्रष्टाचारी, उनकी एक कतार बनाएँ ,

'पवन हंस' हेलीकॉप्टर में, बारी बारी इन्हें बिठाएं ,

हिंदुस्तान में बसने वालो, आओ भ्रष्टाचार मिटायें..!!

------ राकेश वर्मा

मजदूर दिवस

** ਮਜਦੂਰ ਦਿਵਸ **

ਮਿਹਨਤ-ਕਸ਼ ਕਾਮਿਆ ਦੇਸ਼ ਦਿਆ ,

ਤੇਰਾ ਦਿਵਸ ਮੈਂ ਕਿੰਝ ਮਨਾਵਾਂ ?


ਦਿਹਾੜੀ ਦੱਪਾ ਕਰਨ ਵਾਲਿਆ ,

ਖੂਹ ਪੁੱਟ ਪਾਣੀ ਭਰਨ ਵਾਲਿਆ ,

ਬਦ ਤੋਂ ਬਦਤਰ ਹਾਲਤ ਹੋ ਗਈ ,

ਸੁਬ੍ਹਾ ਜਿਓਣ ਸ਼ਾਮੀ ਮਰਨ ਵਾਲਿਆ ,

ਰਾਸ਼ਨ ਲਈ ਵੀ ਪੈਸੇ ਥੁੜ੍ਹ ਗਏ ,

ਸੋਚੇੰ ਕਿੰਝ ਮੈਂ ਡੰਗ ਟਪਾਵਾਂ ..?

ਮਿਹਨਤ-ਕਸ਼ ਕਾਮਿਆ ਦੇਸ਼ ਦਿਆ ,

ਤੇਰਾ ਦਿਵਸ ਮੈਂ ਕਿੰਝ ਮਨਾਵਾਂ ?


ਮਿੱਟੀ ਨਾਲ ਮਿੱਟੀ ਹੋ ਜਾਵੇਂ ,

ਪਾਣੀ ਥਾਂ ਪਸੀਨਾ ਲਾਵੇਂ ,

ਬੀਜ ਖਾਦ ਲਈ ਚੁੱਕੇਂ ਕਰਜੇ ,

ਨੈਣਾਂ ਦੀ ਤੂੰ ਨੀਂਦ ਗੁਆਵੇਂ ,

ਫਸਲਾਂ ਦਾ ਮੰਡੀ ਵਿਚ ਸੱਜਣਾ ,

ਮੁੱਲ ਮਸਾਂ ਹੀ ਮਿਲਦਾ ਸਾਵਾਂ...

ਮਿਹਨਤ-ਕਸ਼ ਕਾਮਿਆ ਦੇਸ਼ ਦਿਆ ,

ਤੇਰਾ ਦਿਵਸ ਮੈਂ ਕਿੰਝ ਮਨਾਵਾਂ ?


ਹੱਡ ਭੰਨਵੀ ਮਿਹਨਤ ਕੀਤੀ ,

ਜਿੰਨੀ ਲੱਗਦੀ ਸੀ ਵਾਹ ਲਾਈ ,

ਕਰਜੇ ਦੀ ਕੀਮਤ ਤੂੰ ਕਿਸਾਨਾ ,

ਦੇ ਕੇ ਆਪਣੀ ਜਾਨ ਚੁਕਾਈ ,

ਜਿੰਦ ਤੇਰੀ ਨੂੰ ਫਾਹ ਲਿਆ ਹੰਸਾ ,

ਸਰਮਾਏਦਾਰ ਗਿਰਝਾਂ ਤੇ ਕਾਵਾਂ ..

ਮਿਹਨਤ-ਕਸ਼ ਕਾਮਿਆ ਦੇਸ਼ ਦਿਆ ,

ਤੇਰਾ ਦਿਵਸ ਮੈਂ ਕਿੰਝ ਮਨਾਵਾਂ ?


ਆਪਣੀ ਜਿੰਦ ਦਾ ਤੇਲ ਬਾਲ ਕੇ ,

ਚਿਮਨੀ 'ਚੋਂ ਧੂੰਆਂ ਕੱਢਣ ਵਾਲਿਆ ,

ਸ਼ਿਫਟਾਂ ਦੇ ਵਿਚ ਟੱਬਰ ਪਾਲ ਕੇ ,

ਭਵਿੱਖ ਸੁਨਹਿਰਾ ਲੱਭਣ ਵਾਲਿਆ,

ਹੱਕ ਨਾ ਤੇਰਾ ਮਿਲਦਾ ਵੇਖ ਮੈਂ ,

ਸ਼ਰਮ ਨਾਲ ਪਾਣੀ ਹੋ ਜਾਵਾਂ ...

ਮਿਹਨਤ-ਕਸ਼ ਕਾਮਿਆ ਦੇਸ਼ ਦਿਆ ,

ਤੇਰਾ ਦਿਵਸ ਮੈਂ ਕਿੰਝ ਮਨਾਵਾਂ ?


ਕਿਰਸਾਨਾ ਦੀ ਜਾਨ ਦੀ ਦੁਸ਼ਮਣ,

ਆੜ੍ਹਤੀਆਂ ਦੀ ਠੱਗੀ- ਠੋਰੀ,

ਮਜਦੂਰਾਂ ਦੀ ਰੱਤ ਚੂਸ ਰਹੀ ਐ ,

ਸ਼ਾਹੂਕਾਰਾਂ ਦੀ ਸੀਨਾਜ਼ੋਰੀ,

ਡਾਢਿਆਂ ਦੇ ਇਸ ਰਾਜ 'ਚ ਲੋਕੋ ,

ਕਿੱਥੇ ਹਾਅ ਦਾ ਨਾਅਰਾ ਲਾਵਾਂ ..

ਮਿਹਨਤ-ਕਸ਼ ਕਾਮਿਆ ਦੇਸ਼ ਦਿਆ ,

ਤੇਰਾ ਦਿਵਸ ਮੈਂ ਕਿੰਝ ਮਨਾਵਾਂ ?


ਲਾਮਬੰਦ ਹੋ ਜਾਓ ਕਿਰਤੀਓ,

ਹੱਕ ਸੱਚ ਲਈ ਨਾਅਰਾ ਲਾਓ ,

ਸਰਮਾਏਦਾਰਾਂ ਦੇ ਭ੍ਰਿਸ਼ਟ ਸਮਾਜ ਨੂੰ,

ਆਪਣੇ ਏਕੇ ਨਾਲ ਹਿਲਾਓ ,

ਮਜਦੂਰ ਏਕਤਾ ਜੁਗ -ਜੁਗ ਜੀਵੇ ,

ਮੰਗਾਂ ਰੱਬ ਤੋਂ ਮੈਂ ਦੁਆਵਾਂ ...

ਮਿਹਨਤ-ਕਸ਼ ਕਾਮਿਆ ਦੇਸ਼ ਦਿਆ ,

ਤੇਰਾ ਦਿਵਸ ਮੈਂ ਕਿੰਝ ਮਨਾਵਾਂ ?


ਜੈ- ਮਜਦੂਰ ਜੈ -ਭਾਰਤ


---- ਰਾਕੇਸ਼ ਵਰਮਾ

(94173-47342)

नज़म

बिना मतले की ग़ज़ल ...

***** ज़िंदगी *****


क़ुछ रंग शोख से हैं , क़ुछ रंग रंजो -गम के ,

तस्वीर हो रही है , साकार ज़िन्दगी की ..!

कहीं महक है गुलों की, कांटों की चुभन भी है ,

मिलती नहीं हैं राहें , हमवार ज़िन्दगी की ...!

खुशीयों की खनक इस में, ग़म का संगीत भी है,

धुन अलग-अलग बज़ाती, झंकार ज़िन्दगी की !

अम्रुत से भरी बून्दें, कभी विष-वमन ये करती,

बह्ती ही जा रही है, रस- धार ज़िन्दगी की ..!

दरिया में है रवानी, अभी दूर है किनारा ,

जाने किधर ले जाये , पतवार ज़िन्दगी की !

कुछ कदम लडखडाये, बना बे-बसी का आलम,

थम सी गयी है ' वर्मा ', रफ्तार ज़िन्दगी की ..!!

----- राकेश वर्मा

{ 28-04-2011}