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शे'र

साहेबान ... ये दो शे'र मैंने कहीं पढ़े थे ...लेकिन इन के रचनाकार का नाम मुझे याद नही
आप से विनती है कि अगर आपको पता हो तो मुझे बताएं ...

हुस्न-ओ-ज़र-ओ-सियासत भी तो नशे हैं ,
फिर शराब के नशे में बुराई क्या है ?
वादानोशी से मुझे रोकने वालो,
आदमी फितरतन शराबी है ...!!!


इशरत-ऐ -क़तरा है दरिया में फना हो जाना,
दर्द का हद्द से गुजरना है दवा हो जाना ...!!!!


आपके सहयोग की प्रत्याशा में ,

--- राकेश वर्मा



3 comments:

sanan said...

2nd sher is of Galib.

दिगम्बर नासवा said...

Pata nahi kiske hain par sher lajawaab hain ...

Urmi said...

वाह बहुत ही सुन्दर और लाजवाब शेर हैं!