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Couplet

"कल की खबर किसे है, आज भी वो अनजान हैं हमसे ,
खुदा को न जाने मंज़ूर क्या है, यही सोच कर परेशान हैं कबसे "

ये शे'र मेरे अज़ीज़ दोस्त श्री संजीव कुरालिया जी ने मुझे कल भेजा था...

1 comments:

निर्मला कपिला said...

vवाह क्या खूब लिखते हैं कुरालिया जी उन्हें मेरी बधाई जरूर पहुँचा दें। वर्मा जी मैने ललित को फोन कर दिया है वो काम करवा देगा शुभकामनायें। एक बार ब्लाग रजिस्टर हो जाये मैं सब को अपके ब्लोग के बारे मे बताती हूँ।