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शे'र अर्ज़ है :



जो होंगे तेरी तलाश में , आ जायेंगे खुद तेरे पीछे ,
राह-ए-मन्ज़िल में अपने, नक्श-ए-पाँ छोडते जाओ... !!


तंग-दस्ती के इस दौर में कोई राह नज़र आता नहीं है,
यही वजह है कि 'वर्मा' आज-कल मुस्कुराता नही है ...!!

3 comments:

निर्मला कपिला said...

जो होंगे तेरी तलाश में , आ जायेंगे खुद तेरे पीछे ,
राह-ए-मन्ज़िल में अपने, नक्श-ए-पाँ छोडते जाओ... !!
वाह लाजवाब शेर है । दूसरे शेर के बारे मे कहूँगी कल तो आप मुस्कुरा रहे थे जब दीपक मस्जाल से मिलने आये थे । शायद ये ब्लागर मिलन कुछ देर के लिये सभी चोन्तायें भुला देता है बहुत सुन्दर शेर हैं धन्यवाद

निर्मला कपिला said...

दीपक मशाल का नाम गलत लिखा गया था क्षमा चाहती हूँ। जरा जल्दी मे थी।

दीपक 'मशाल' said...

Bahut khoob janab..
Jai Hind