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आत्मनिर्भरता

आत्मनिर्भरता

{गतांक से आगे }

अब प्रश्न यह है कि हम आत्मनिर्भर कैसे बने ?
तो इसका सीधा एवं सरल उत्तर है कि अपना काम खुद करके । बचपन से ही अगर हम आत्मनिर्भर होने की कोशिश करें तो कामयाबी के सोपान पर चढ़ सकते हैं । हमें बच्चों को समझाना चाहिए कि उन्हें जो भी गृह -कार्य मिले उसे स्वेयम करें ना कि किसी सहपाठी पर आश्रित रहें । घर में रहते हुए छोटे - छोटे कामों के लिए अपने माँ-बाप या बड़े भाई बहनों का मुहं ना देखें अपितु अपना काम स्वेयम करें । उदाहरण के लिए अपनी स्कूल की किताबों को व्यवस्थित ढंग से सहेज कर रखें । समय-सारिणी अनुसार उन्हें बस्ती में डाल कर रखें । सुबह स्कूल जाना है तो रात को अपना सारा सामान जैसे किताबें, वर्दी , जूते- जुराबें आदि यथास्थान रखें ताकि सुबह ना तो हड-बड़ी फैले और ना ही हमें किसी सहायता की आवश्यकता पड़े ।
बच्चों को बड़ों से सहयोग तो मिलता ही है , मार्गदर्शन भी मिलता है। माता पिता की बच्चों से बहुत उम्मीदें होती हैं। वे अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हैं । बच्चों को भी आत्मनिर्भर बनकर अपने कर्तव्य का निर्वाह करना चाहिए । बच्चे माँ-बाप के लिए सहारा बने ना कि बोझ । हम अगर आत्मनिर्भर नही होंगे तो किसी न किसी के लिए बोझ जरूर बनेंगे । अगर दूसरों पर आश्रित रहने की लत एक बार लग गयी तो सारी ज़िन्दगी यूँ ही निकल जाती है।
इन सबके इलावा आत्मनिर्भर न होना हमें कभी कभी उपहास का पात्र भी बना देता है । लोग-बाग़ देख कर हंसते हैं कि हम अपना काम स्वेयम करने में भी असमर्थ हैं । परजीवी व्यवहार वाला व्यक्ति किसी के मन को नही भाता । इसलिए आईये आज से ही आत्मनिर्भर होने की दिशा में कदम बढायें ।

1 comments:

निर्मला कपिला said...

बहुत सार्गर्भित और सही सन्देश देती रचना के लिये धन्यवाद ,शुभकामनायें।